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What is the most powerful natural antibiotic and how can it be used?By social worker Vanita Kasani PunjabThere are things in the kitchen which are very effective and many health related issues

सबसे शक्तिशाली प्राकृतिक एंटीबायोटिक कौन सी है और यह कैसे प्रयोग की जा सकती है? By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब किचन में ऐसी चीजें मौजूद हैं जो बेहद प्रभावशाली हैं और बहुत से स्वास्थ्य से जुड़े मसलों पर कारगर हैं। 1. लहसुन : लहसुन एक प्राकृतिक एंटीबायोटिक है। इसमें एंटीफंगल और एंटीवायरल तत्व मौजूद होते हैं। एक अध्ययन के अनुसार लहसुन में पाया जाने वाला सल्फर कंपाउंड एलीसिन प्राकृतिक एंटीबायोटिक के समान कार्य करते हैं। इसके अलावा, लहसुन में कई प्रकार के विटामिन, न्यूट्रिएंट्स और मिनेरल्स होते हैं जो संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं। लहसुन आंतों में होने वाले पैरासाइट्स को खत्म करता है। प्रतिदिन खाली पेट लहसुन की 2 से 3 कलियां खाई जा सकती हैं। लहसुन को विभिन्न प्रकार की डिश में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। कुछ लोग बाजार में उपलब्ध लहसुन सप्लीमेंट भी ले सकते हैं परंतु बाजार में उपलब्ध सप्लीमेंट लेने के पहले डॉक्टरी सलाह ले लेनी चाहिए। 2. शहद : प्राकृतिक चिकित्सा में शहद को सबसे कारकर एंटीबायोटिक्स में से एक माना जाता है। इसमें एंटीमाइक्रोबियल, एंटी-इंफ्लेमैटोरी (सूजन कम ...

पंजाब, जेएनएन। कोरोना काल में काढ़ा का अत्यधिक प्रयोग पाचनशक्ति को खराब करने लगा और लोग कोविड के दूसरे लहर में इस आयुर्वेदिक युक्ति से अब पीछा छुड़ाते दिख रहे हैं। By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब वहीं आम आदमी से लेकर समस्त बुद्धिजीवियों में भी यही भ्रांति अभी तक चली आ रही थी कि कोरोना से निबटने में आयुर्वेद की सीमाएं महज काढ़ा तक ही हैं, जबकि आयुर्वेदीय चिकित्सा शास्त्र में कोविड बीमारी में लक्षण के अनुसार इलाज करने की प्रबल संभावनाएं हैं। बीएचयू में रसशास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रो. आनंद चौधरी ने बताया कि आयुर्वेद में आयुष काढ़ा' ही नहीं बल्कि विभिन्न रस औषधियां भी कोविड-19 के इलाज में कारगर हैं।आयुर्वेदीय रस शास्त्र की विधा में अनेक रस रसायन सुखद परिणाम के साथ विकसित किए गए हैं, जो कि इस महामारी से स्वयं को बचाने में काफी अचूक दवाएं हैं।इन औषधियों में स्वर्ण भस्म का योग स्वर्ण मालिनी बसंत, अभ्रक भस्म, प्रवाल भस्म के योग , त्रैलोक्य चिंतामणी रस , जय मंगल रस , त्रिभुवन कीर्ति रस, लक्ष्मी विलास रस आदि प्रमुख हैं। ये सारी दवाइयां श्वांस, बुखार, कफ को दूर करने के साथ ही पाचन और दीपन की क्रियाओं को बढ़ाती है। उन्होंने बताया कि ये औषधियां ऑनलाइन और ऑफलाइन मेडिकल दुकानों पर उपलब्ध रहती हैं। ये सभी रस शास्त्रीय चिकित्सकीय ग्रंथो में काफी विस्तारपूर्वक वर्णित हैं।दरअसल, भारत अनेक प्रतिष्ठित आयुर्वेदिक चिकित्सक इन वर्णित रस-रसायनों के माध्यम से महामारी की लाक्षणिक चिकित्सा कर रोगियों को स्वस्थ करने में सफल भी हो रहे हैं। यही नहीं एलोपैथ भी इस महामारी की लाक्षणिक चिकित्सा ही कर रही है। वहीं, दुनिया के किसी भी शोध संस्थान द्वारा इस महामारी की शत-प्रतिशत प्रभावी औषधि अब तक विकसित नहीं की जा सकी है। प्रोफेसर चौधरी के अनुसार इन रस औषधियों जैसे कि स्वर्ण, अभ्रक, माक्षिक भस्म के ऊपर निरतंर शोध पत्र प्रकाशित होते रहे हैं, जो कि इनकी व्याधि हरण की क्षमता, त्वरित लाभ, स्वास्थ्य सुरक्षा के मानकों पर खरी उतरी है। वहीं इन रस-रसायनों को खरीदते समय कंपनी की प्रमाणिकता को अवश्य परखे।

पंजाब, जेएनएन। कोरोना काल में काढ़ा का अत्यधिक प्रयोग पाचनशक्ति को खराब करने लगा और लोग कोविड के दूसरे लहर में इस आयुर्वेदिक युक्ति से अब पीछा छुड़ाते दिख रहे हैं।  By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब  वहीं आम आदमी से लेकर समस्त बुद्धिजीवियों में भी यही भ्रांति अभी तक चली आ रही थी कि कोरोना से निबटने में आयुर्वेद की सीमाएं महज काढ़ा तक ही हैं, जबकि आयुर्वेदीय चिकित्सा शास्त्र में कोविड बीमारी में लक्षण के अनुसार इलाज करने की प्रबल संभावनाएं हैं।  बीएचयू में रसशास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रो. आनंद चौधरी ने बताया कि आयुर्वेद में आयुष काढ़ा' ही नहीं बल्कि विभिन्न रस औषधियां भी कोविड-19 के इलाज में कारगर हैं। आयुर्वेदीय रस शास्त्र की विधा में अनेक रस रसायन सुखद परिणाम के साथ विकसित किए गए हैं, जो कि इस महामारी से स्वयं को बचाने में काफी अचूक दवाएं हैं।इन औषधियों में स्वर्ण भस्म का योग स्वर्ण मालिनी बसंत, अभ्रक भस्म, प्रवाल भस्म के योग , त्रैलोक्य चिंतामणी रस , जय मंगल रस , त्रिभुवन कीर्ति रस, लक्ष्मी विलास रस आदि प्रमुख हैं। ये सारी दवाइयां श्वांस, बुखार, कफ को दूर करने के...

By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाबदेश में कोरोना का खतरा तेजी से बढ़ रहा है. संक्रमित मरीजों के साथ-साथ मृतकों की तादाद में भी बड़ी वृद्धि देखी जा रही है. ऑक्सीजन से लेकर दवाओं तक की कमी बताई जा रही है. इस बीच भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने कोरोना महामारी में खुद की देखभाल के लिए कुछ आयुर्वेदिक तौर-तरीके बताए हैं जिनसे खुद को सुरक्षित रखा जा सकता है.आयुर्वेद, यूनानी, होम्योपैथी या एलोपैथी, इन सबमें शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने पर जोर दिया जाता है. शरीर अगर रोगों से लड़ने में सक्षम रहेगा तो कोई बीमारी नहीं होगी और हम निरोग रहेंगे. बीमार होने के बाद दवाएं लेने से ज्यादा अच्छा होता है कि उससे पहले ही हम शरीर को पुष्ट बनाएं और बीमारियों से बचे रहें.इसके लिए आयुर्वेद में खुद की देखभाल के तौर-तरीके बताए गए हैं जिससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है.ये तौर-तरीके जटिल नहीं हैं और इसमें उपयुक्त होने वाली चीजें बेहद आसानी से उपलब्ध होने वाली हैं. यहां तक कि घर में ये चीजें मौजूद हैं जिनसे हम इम्युनिटी बढ़ाने में मदद ले सकते हैं. आइए इसके बारे में जानते हैं-बार-बार हल्का गरम पानी पीते रहेंभोजन में हल्दी, जीरा, धनिया, सौंठ और लहसुन का उपयोग करेंताजा आंवला का फल या आंवला से बने उत्पाद खाएंगुनगुने पानी में हल्दी और नमक मिलाकर गार्गल करेंभोजन वही खाएं जो ताजा बना हो और आसानी से पचने लायक होहर दिन कम से कम 30 मिनट तक योगासन, प्रणायाम और ध्यान करेंदिन में सोने से बचें और रात में कम से कम 7-8 घंटे तक सोएंइम्युनिटी बढ़ाने के आयुर्वेदिक तरीकेगुनगुने पानी के साथ खाली पेट 20 ग्राम च्यवनप्राश का सेवन करेंदिन में दो बार हल्दी दूध पीएं, 150 एमएल दूध में आधा चम्मच हल्दी मिलाकर दूध बनाएंगुडुची घन वटी 500 एमजी या अश्वगंधा 500 एमजी हर दिन दो बार लें. इसे भोजन के बाद गर्म पानी के साथ लेना हैरोज हर्बल चाय या काढ़ा पीएं. हर्बल चाय या काढ़ा में तुलसी, दालचीनी, अदरक, कालीमिर्च डालकर बनाएं. इसका टेस्ट बढ़ाने के लिए गुड़, मुनक्का और छोटी इलायची मिलाएंये तरीके भी अपना सकते हैं-सुबह-शाम नाक में तील का तेल या नारियल का तेल या गाय का घी या अणु तेल डालेंएक चम्मच तील का तेल या नारियल का तेल मुंह में डालें, इसे अंदर नहीं लेना है बल्कि 2-3 मिनट तक मुंह में इधर-उधर घुमाना है. इसके बाद इसे थूक दें और गर्म पानी से मुंह को अंदर से साफ कर लें. इसे दिन में दो बार किया जा सकता हैसूखी खांसी या गले में खराश में हो तो क्या करेंपानी का भाप लें, इसमें पुदिना, अजवाइन, कपूर मिलाकर भी दिन में एक बार भाप ले सकते हैंगले में खराश हो तो लवंग, मुलैठी का पाउडर शक्कर या शहद के साथ मिलाकर ले सकते हैंअगर ये लक्षण ज्यादा दिनों तक रहते हैं तो किसी चिकित्सक से परामर्श लें. (ऊपर बताए गए तरीके कोरोना के इलाज का दावा नहीं करते हैं. ये इम्युनिटी बढ़ा सकने वाले तरीके हैं)बाल वनिता महिला आश्रमकोरोना मरीजों के 'इलाज' में रामबाण है गिलोय, अश्वगंधा और मुलैठी, पढे़ं आयुष मंत्रालय ने क्या कहा

By  समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब देश में कोरोना का खतरा तेजी से बढ़ रहा है. संक्रमित मरीजों के साथ-साथ मृतकों की तादाद में भी बड़ी वृद्धि देखी जा रही है. ऑक्सीजन से लेकर दवाओं तक की कमी बताई जा रही है. इस बीच भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने कोरोना महामारी में खुद की देखभाल के लिए कुछ आयुर्वेदिक तौर-तरीके बताए हैं जिनसे खुद को सुरक्षित रखा जा सकता है. आयुर्वेद, यूनानी, होम्योपैथी या एलोपैथी, इन सबमें शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने पर जोर दिया जाता है. शरीर अगर रोगों से लड़ने में सक्षम रहेगा तो कोई बीमारी नहीं होगी और हम निरोग रहेंगे. बीमार होने के बाद दवाएं लेने से ज्यादा अच्छा होता है कि उससे पहले ही हम शरीर को पुष्ट बनाएं और बीमारियों से बचे रहें.इसके लिए आयुर्वेद में खुद की देखभाल के तौर-तरीके बताए गए हैं जिससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. ये तौर-तरीके जटिल नहीं हैं और इसमें उपयुक्त होने वाली चीजें बेहद आसानी से उपलब्ध होने वाली हैं. यहां तक कि घर में ये चीजें मौजूद हैं जिनसे हम इम्युनिटी बढ़ाने में मदद ले सकते हैं. आइए इसके बारे में जानते हैं- बार-बार ...

बालो को रंगने के सबसे टिकाऊ और सुरक्षित प्राकृतिक और कॉस्मेटिक उपाय कौन से उपलब्ध हैं?By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाबआजकल बालों को कलर(रंगना ) करना एक ट्रेंड के साथ -साथ फैशन चिन्ह भी बन गया है| परन्तु हम लोग ये नहीं जानते कि बालों को कलर करते वक्त जिन कैमिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है, वो बालों के लिए बहुत नुकसानदायक होते हैं; ये ना सिर्फ बालों को रफ बनाते हैं बल्कि बालों की जड़ों को भी कमजोर बनाते हैं|बालों को रंगने के कई प्राकृतिक उपाय भी है जिनसे बाल स्वस्थ व घने भी बने रहते है तथा ये एक अच्छे कंडीशनर का भी काम करते है | हम घर पर ही अपने बालों को रंग सकते है, व उन्हें बेजान रूखे बनने से बचा सकते है |1. लाल बाल - मेहंदी का तो सबने सुना ही है कि यह बालों को घना करती है व प्राकृतिक कंडीशनर का भी काम करती है, मेहँदी से बाल लाल हो जाते है |2. बर्गंडी बाल- अगर हमे बर्गंडी रंग में अपने बाल रंगने है तो मेहँदी को चुकंदर के रस में भिगो कर लगाने से हमारे बाल बर्गंडी रंग के हो जायेंगे | यह भी एक अच्छे कंडीशनर का काम करता है तथा बालों की प्राकृतिक चमक को बनाए रखता है |3. हल्के भूरे बाल - मेहंदी के साथ कॉफी पाउडर , बालों को हल्का भूरा रंग देने के लिए यह बेहतरीन उपाय है। बालों के लिए मेंहदी घोलते वक्त पहले उसमें आधा चम्मच कॉफी पाउडर डाल दें। इससे बालों का रंग हल्का कॉफी ब्राउन होगा।4. काले बाल - एक लोहे के बर्तन में कपूर का तेल गर्म करें। इसमें मेहंदी को अच्छी तरह मिलाएं और एक-दो दिन उसी तरह छोड़ दें। इसे लगाते वक्त पहले गर्म पानी इसमें मिलाएं और फिर लगाएं। इससे न सिर्फ बालों का रंग काला होगा बल्कि बाल जड़ से मजबूत होंगे।चित्र स्रोत - Google

बालो को रंगने के सबसे टिकाऊ और सुरक्षित प्राकृतिक और कॉस्मेटिक उपाय कौन से उपलब्ध हैं? By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब आजकल बालों को कलर(रंगना ) करना एक ट्रेंड के साथ -साथ फैशन चिन्ह भी बन गया है| परन्तु हम लोग ये नहीं जानते कि बालों को कलर करते वक्त जिन कैमिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है, वो बालों के लिए बहुत नुकसानदायक होते हैं; ये ना सिर्फ बालों को रफ बनाते हैं बल्कि बालों की जड़ों को भी कमजोर बनाते हैं| बालों को रंगने के कई प्राकृतिक उपाय भी है जिनसे बाल स्वस्थ व घने भी बने रहते है तथा ये एक अच्छे कंडीशनर का भी काम करते है | हम घर पर ही अपने बालों को रंग सकते है, व उन्हें बेजान रूखे बनने से बचा सकते है | 1. लाल बाल - मेहंदी का तो सबने सुना ही है कि यह बालों को घना करती है व प्राकृतिक कंडीशनर का भी काम करती है, मेहँदी से बाल लाल हो जाते है | 2. बर्गंडी बाल- अगर हमे बर्गंडी रंग में अपने बाल रंगने है तो मेहँदी को चुकंदर के रस में भिगो कर लगाने से हमारे बाल बर्गंडी रंग के हो जायेंगे | यह भी एक अच्छे कंडीशनर का काम करता है तथा बालों की प्राकृतिक चमक को बनाए रखता है | 3. हल्के भ...

अजवाइन-मेथी का पानी पीने से शरीर को मिलता है ये बड़ा फायदाBy समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाबअगर आपको डायबिटीज की समस्या है, तो अजवाइन-मेथी का पानी रामबाण इलाज है. यदि आपका ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद करता है. इसलिए रोजाना सुबह उठने के साथ ही इस डिटॉक्स ड्रिंक का सेवन जरूर करें. सुबह-सुबह खाली पेट एक गिलास अजवाइन मेथी का पानी पीने से डाइजेशन सही रहता है. इसमें फाइबर, मैग्नीशियम, मैग्नीज जैसे कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जो एसिडिटी या अन्य पाचन से संबंधित समस्याओं से निजात दिलाने में मददगार साबित होता है.अजवाइन और मेथी को एक रात पहले पानी में भिगोकर रख दें. फिर सुबह उठकर खाली पेट इसे छान लें और पी जाएं. अजवाइन-मेथी का पानी वजन घटाने का पुराना घरेलू नुस्खा है.इसका इस्तेमाल लोग काफी पहले से करते आ रहे हैं. अजवाइन और मेथी दोनो में एंटीऑक्सीडेंट गुण मौजूद होते हैं, जो मेटाबॉलिज्म को मजबूत करते हैं.इसके अलावा इस ड्रिंक में फैट बर्निंग के गुण भी होते हैं, जो शरीर के एक्स्ट्रा फैट को बेहद आसानी से कम करता है. अगर आप भी तेजी से वजन घटाना चाह रहे हैं, तो इस डिटॉक्स ड्रिंक को रोजाना सुबह जरूर पिएं.भारत का शायद ही कोई ऐसा घर हो, जहां मेथी और अजवाइन का इस्तेमाल न किया जाता है. किचन में इन दोनों का इस्तेमाल मसालों के रूप किया जाता है. मेथी और अजवाइन में तमाम आयुर्वेदिक गुण होते हैं.लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन दोनों का सेवन एक साथ करने से फायदे दोगुने हो जाते हैं. जी हां, अगर आपको वजन कम करना हो या बदहजमी की समस्या दूर करनी हो, अजवाइन-मेथी का पानी परफेक्ट घरेलू उपचार है. यह ड्रिंक हमारे शरीर के लिए एक बेहतरीन डिटॉक्स का काम करता है.

अजवाइन-मेथी का पानी पीने से शरीर को मिलता है ये बड़ा फायदा By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब अगर आपको डायबिटीज की समस्या है, तो अजवाइन-मेथी का पानी रामबाण इलाज है. यदि आपका ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद करता है. इसलिए रोजाना सुबह उठने के साथ ही इस डिटॉक्स ड्रिंक का सेवन जरूर करें.   सुबह-सुबह खाली पेट एक गिलास अजवाइन मेथी का पानी पीने से डाइजेशन सही रहता है. इसमें फाइबर, मैग्नीशियम, मैग्नीज जैसे कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जो एसिडिटी या अन्य पाचन से संबंधित समस्याओं से निजात दिलाने में मददगार साबित होता है. अजवाइन और मेथी को एक रात पहले पानी में भिगोकर रख दें. फिर सुबह उठकर खाली पेट इसे छान लें और पी जाएं. अजवाइन-मेथी का पानी वजन घटाने का पुराना घरेलू नुस्खा है. इसका इस्तेमाल लोग काफी पहले से करते आ रहे हैं. अजवाइन और मेथी दोनो में एंटीऑक्सीडेंट गुण मौजूद होते हैं, जो मेटाबॉलिज्म को मजबूत करते हैं. इसके अलावा इस ड्रिंक में फैट बर्निंग के गुण भी होते हैं, जो शरीर के एक्स्ट्रा फैट को बेहद आसानी से कम करता है. अगर आप भी तेजी से वजन घटाना चाह रहे हैं, तो इस डिटॉक्स ...

Turmeric: priceless medicinal boon of nature (Haldi: a precious medicinal boon of nature)4SummaryHaldi is an invaluable medicinal boon of nature. Its unique properties

हल्दी : प्रकृति का अमूल्य औषधीय वरदान (Haldi : a precious medicinal boon of nature)By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब सारांश हल्दी प्रकृति का एक अमूल्य औषधीय वरदान है। अपने अत्यन्त विशिष्ट गुणों के कारण हल्दी को भारत में न केवल मसाले एवं औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है, वरन धार्मिक दृष्टि से भी अत्यन्त महत्त्वपूर्ण माना जाता है। विभिन्न जटिल रोगों के उपचार में हल्दी का प्रयोग किया जाता है। अभी इसके औषधीय गुणों पर और शोध व अध्ययनों की आवश्यकता है, जिससे इसके अन्य नवीन औषधीय गुणों की खोज की जा सके तथा उनका प्रयोग विभिन्न रोगों के उपचार में किया जा सके। Abstract :  Haldi is a precious medicinal boon of nature. Due to its excellent properties it has been not only used as spice but also used as medicine. It is also considered as auspicious and is an important part of Indian religious rituals. Some further evaluation needs to be carried out on turmeric in order to explore the concealed areas and their practical clinic applications which can use for the welfare of mankind. हल्दी एक प्रम...

ਹਲਦੀ: ਕੁਦਰਤ ਦਾ ਅਨਮੋਲ ਚਿਕਿਤਸਕ ਵਰਦਾਨ (ਹਲਦੀ: ਕੁਦਰਤ ਦਾ ਅਨਮੋਲ ਚਿਕਿਤਸਕ ਵਰਦਾਨ)ਸਾਰਹਲਦੀ ਕੁਦਰਤ ਦਾ ਅਨਮੋਲ ਚਿਕਿਤਸਕ ਵਰਦਾਨ ਹੈ. ਇਹ ਬਹੁਤ ਹੀ ਵਿਲੱਖਣ ਗੁਣ ਹਨ

हल्दी : प्रकृति का अमूल्य औषधीय वरदान (Haldi : a precious medicinal boon of nature)By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब सारांश हल्दी प्रकृति का एक अमूल्य औषधीय वरदान है। अपने अत्यन्त विशिष्ट गुणों के कारण हल्दी को भारत में न केवल मसाले एवं औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है, वरन धार्मिक दृष्टि से भी अत्यन्त महत्त्वपूर्ण माना जाता है। विभिन्न जटिल रोगों के उपचार में हल्दी का प्रयोग किया जाता है। अभी इसके औषधीय गुणों पर और शोध व अध्ययनों की आवश्यकता है, जिससे इसके अन्य नवीन औषधीय गुणों की खोज की जा सके तथा उनका प्रयोग विभिन्न रोगों के उपचार में किया जा सके। Abstract :  Haldi is a precious medicinal boon of nature. Due to its excellent properties it has been not only used as spice but also used as medicine. It is also considered as auspicious and is an important part of Indian religious rituals. Some further evaluation needs to be carried out on turmeric in order to explore the concealed areas and their practical clinic applications which can use for the welfare of mankind. हल्दी एक प्रम...

Sem: Charismatically Benefits Sem - By Social Worker Vanita Kasania PunjabBAL Vnita mahila ashramBeans are a type of vine, whose beans (sem phali) are used for food. Bean pod

Sem: करिश्माई ढंग से फायदा करता है सेम –   By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब BAL Vnita mahila ashram सेम एक प्रकार का लता होता है, जिसकी फलियों (sem phali) को खाने के लिए प्रयोग किया जाता है। सेम के फली में बहुत सारी पौष्टकताएं होने के कारण आयुर्वेद में सेम को औषधि के रुप में इस्तेमाल की जाती है। सेम के प्रत्येक फली में 4-5 बीज होते हैं, जो अंडाकार होती हैं। सेम का सेवन कई तरह से किया जा सकता है, वैसे ज़्यादातर लोग सेम की सब्जी ( sem ki sabji)  बनाकर खाते हैं।  सेम की फली को गला और पेट का दर्द, सूजन, बुखार, अल्सर जैसे अनेक बीमारियों के उपचार के लिए प्रयोग में लाया जाता है। चलिये इसके बारे में विस्तार से जानते हैं कि सेम कितने बीमारियों के लिए फायदेमंद है-   Contents  [ show] सेम क्या है? (What is Sem Phali in Hindi?) शायद आपको पता नहीं कि वर्ण के आधार पर सेम कई प्रकार की होती हैं। इसकी लता लम्बी, जमीन पर फैलने वाली  होती है। इसकी फली 3.8-5 सेमी लम्बी, 1.2-1.8 सेमी चौड़ी, हरी अथवा बैंगनी रंग की होने के साथ आगे के भाग की ओर नुकीली होती है। बीज 2-4 की संख्य...

हल्दी के औषधीय गुणYBy Vnita Kasnia पंजाबहल्दी के औषधीय गुणहल्दी का इस्तेमाल हर घर में किया जाता है। इसके कई नाम हैं - हरिदार, गौरी, बंगरागा, हलधर, मंडल। रसोई में इस्तेमाल होने वाले मसालों में हल्दी

हल्दी ਦਾ ਦधीय गुण By Vnita Kasnia Punjab हल्दी ਦਾ ਦधीय गुण   ਹਲਦੀ ਦਾ ਇਸਤੇਮਾਲ ਹਰ ਘਰ ਵਿੱਚ ਹੁੰਦਾ ਹੈ. ਇਸ ਦੇ ਕਈ ਨਾਮ ਹਨ- ਹਰਿਦਰ, ਗੌਰੀ, ਬਾਂਗਰਾਗਾ, ਹਲਦਰ, ਮੰਡਲ। ਰੱਸੋਈ ਘਰ ਵਿੱਚ ਵਰਤਣ ਵਾਲੇ ਮਸਾਲੇ ਵਿੱਚ ਹਲਦੀ ਦਾ ਆਪਣਾ ਖਾਸ ਸਥਾਨ ਹੈ ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਉਹ ਰੱਸੋਈ ਰਾਨੀ ਵੀ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ. ਹਲਦੀ ਕੇਵਲ ਮਸਾਲੇ ਹੀ ਨਹੀਂ ਹਨ ਪਰ ਧਾਰਮਿਕ ਅਤੇ ਸਿਹਤ / ਚੰਦਰ ਦੀ ਨਜ਼ਰ ਵੀ ਬਹੁਤ ਲਾਭਦਾਇਕ ਹੈ ।हल्दी प्रकार ਕਿਸਮਾਂ ਦੀ ਹੈ- हल्दी, ਕਾਲੀ हल्ਦੀ, आवां हल्दी, दूत हल्दी। ਬਾਜ਼ਾਰ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ ਹਲਦੀ ਰੰਗੀ ਗਈ ਹੈ ਜਾਂ ਉਸ ਤੋਂ ਜ਼ਿਆਦਾ ਉਸ ਲਈ ਪਲੀ ਮਿਟੀ ਮਿਲੀ ਮਿਲੀਅਨ ਹੈ ਜੋ ਸਰੀਰ ਦੇ ਨੁਕਸਾਨ ਪਹੁੰਚਾਉਂਦੀ ਹੈ. ਇਸ ਲਈ ਪਸੀਅ ਥੋੜੀ ਜਿਹੀ ਲਓ. BAL VNITA MAHILA Ashram ਹਲਦੀ ਕਾਸ਼ਤ ਦੇ ਤੌਰ ਤੇ ਵਰਤੋਂ: - ਦਾਦ ਹੋ ਜਾਣੋ ਹਲਦੀ ਦੇ ਪਾਣੀ ਵਿਚ ਪੀਕਰ ਦਾਦ ਵਾਲੇ ਸਥਾਨਾਂ 'ਤੇ ਆਰਾਮ ਨਾਲ ਆਉਂਦੇ ਹਨ. ਦੰਤ ​​ਵਿੱਚ ਦਰਦ ਹੋਣ ਤੇ ਪਸੀਨੇ ਦੀ ਹਲਦੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਦੰਤ ਦੇ ਹੇਠਾਂ ਆਰਾਮ ਹੁੰਦਾ ਹੈ. ਜੇ ਜੋਂਕ ਡੰਕ ਮਾਰ ਦਿਓ ਤਾਂ ਸੁਖੀ ਹਲਦੀ ਦੇ ਚੱਕਰ 'ਤੇ ਉਸ ਜਗ੍ਹਾ' ਤੇ ਖੂਨ ਦਾ ਬਹਿਣਾ ਬੰਦ ਹੋ ਜਾਵੇ. ਬੱਚਿਆਂ ਦੇ ਪੇਟ ਦੀਆਂ ਚੀਜ਼ਾਂ ਜਾਣੋ ਹਲਦੀ ਦਾ ਕਵਾਥ ਨਿਰਮਾਤਾ ਪਿਲਨਾ ਲਾਭਕਾਰੀ ਹੈ. ਹਲਦੀ ਅਤੇ ਆਣ ਏਬ ਦੇ ਰਸ ਦਾ ਮਿਲਕਿਆ ਹੋਇਆ ਸ਼ੂਗਰ ਮਿਲਾਕੇ ਖਾਣੇ ਤੋਂ ਪ੍ਰਮੇਹ ਖਤਮ ...
ਣ ਯੋਗ ਬਣਾ ਸਕਦੇ ਹਨ ਸਮੁੰਦਰੀ ਪਾਣੀ ਤੋਂ ਲੂਣ ਕੱ Remਣਾ ਇਕ ਵੱਡੀ ਚੁਣੌਤੀ ਹੈ. ਖੋਜਕਰਤਾਵਾਂ ਕੋਲ ਇਸ ਦਾ ਜਵਾਬ ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ - ਪਰ ਇਸ ਨੂੰ ਪੂਰੀ ਪ੍ਰੋਸੈਸਿੰਗ ਸ਼ਕਤੀ ਦੀ ਜ਼ਰੂਰਤ ਹੋਏਗੀ.  By Vnita Kasnia Punjab ਰੇਨੇ ਚੁਨ ਅਲੇਕਸਸੈਂਡਰ ਨੋਏ ਕੋਲ  ਬਹੁਤ ਛੋਟੇ ਸਾਧਨ ਲਈ ਵੱਡੀਆਂ ਯੋਜਨਾਵਾਂ ਹਨ. ਲਾਰੈਂਸ ਲਿਵਰਮੋਰ ਨੈਸ਼ਨਲ ਲੈਬਾਰਟਰੀ ਦੇ ਇਕ ਸੀਨੀਅਰ ਖੋਜ ਵਿਗਿਆਨੀ, ਨੋਏ ਨੇ ਆਪਣੇ ਕੈਰੀਅਰ ਦਾ ਇਕ ਮਹੱਤਵਪੂਰਣ ਹਿੱਸਾ ਉਸ ਤਰਲ ਦੀ ਅਲਮੀਕੀ ਨੂੰ ਸੰਪੂਰਨ ਕਰਨ ਲਈ ਸਮਰਪਿਤ ਕੀਤਾ ਹੈ - ਜਿਸ ਨੂੰ ਸਮੁੰਦਰੀ ਪਾਣੀ ਤੋਂ ਲੂਣ ਹਟਾਉਣਾ ਹੈ. ਉਸਦਾ ਸਟਾਕ-ਇਨ-ਟ੍ਰੇਡ ਕਾਰਬਨ ਨੈਨੋਟਿ .ਬ ਹੈ. 2006 ਵਿਚ, ਨਈਏ ਨੇ ਇਕ ਕੱਟੜ ਸਿਧਾਂਤ ਨੂੰ ਅਪਣਾਉਣ ਦੀ ਬੇਚੈਨੀ ਮਹਿਸੂਸ ਕੀਤੀ: ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ ਕਿ ਨੈਨੋਟਿesਬਜ਼ - ਇੰਨੇ ਛੋਟੇ ਸਿਲੰਡਰ, ਉਹ ਸਿਰਫ ਇਕ ਇਲੈਕਟ੍ਰੋਨ ਮਾਈਕਰੋਸਕੋਪ ਨਾਲ ਵੇਖੇ ਜਾ ਸਕਦੇ ਹਨ - ਇਹ ਫਿਲਟਰ ਫਿਲਟਰਾਂ ਵਜੋਂ ਕੰਮ ਕਰ ਸਕਦੇ ਹਨ. ਇਹ ਇਸ ਗੱਲ ਤੇ ਨਿਰਭਰ ਕਰਦਾ ਹੈ ਕਿ ਟਿ howਬਾਂ ਕਿੰਨੀਆਂ ਚੌੜੀਆਂ ਸਨ. ਉਦਘਾਟਨ ਨੂੰ ਪਾਣੀ ਦੇ ਅਣੂਆਂ ਨੂੰ ਲੰਘਣ ਦੇ ਲਈ ਕਾਫ਼ੀ ਵੱਡਾ ਹੋਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਸੀ ਪਰ ਸਮੁੰਦਰੀ ਪਾਣੀ ਨੂੰ ਘਟਾਉਣਯੋਗ ਬਣਾਉਣ ਵਾਲੇ ਵੱਡੇ ਲੂਣ ਦੇ ਕਣਾਂ ਨੂੰ ਰੋਕਣ ਲਈ ਇਹ ਬਹੁਤ ਘੱਟ ਸੀ. ਕਾਫ਼ੀ ਕਾਰਬਨ ਨੈਨੋਟਿesਬਸ ਇਕੱਠੇ ਰੱਖੋ ਅਤੇ ਤੁਹਾਡੇ ਕੋਲ ਸਾਫ ਪਾਣੀ ਬਣਾਉਣ ਲਈ ...