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हल्दी के लाभ, गुण व उपयोग (Benefits Of Turmeric In Hindi) By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब:🥦🌹🙏🙏🌹🥦हल्दी-के-लाभमसालों में हल्दी का अपना एक विशेष महत्व है। लगभग हर घर की रसोई में हल्दी मिल जाती है। हल्दी खाने का स्वाद और रंग रूप तो बढ़ाती ही है इसके अलावा यह कई तरह के रोगों से भी बचाव करती है। इसी कारण पुराने समय से ही हल्दी का प्रयोग जड़ी बूटी के रूप में भी किया जा रहा है। आयुर्वेद में हल्दी के लाभ के बारे में विस्तार से बताया गया है।हल्दी के लाभ (Benefits Of Turmeric)हल्दी एक जड़ी-बूटी है। इसका इस्तेमाल मसालों के रुप में प्रमुखता से किया जाता है। हिंदू धर्म में पूजा में या कोई भी शुभ काम करते समय भी हल्दी का प्रयोग किया जाता है। खाने के अलावा कई तरह की बीमारियों से बचाव में भी हल्दी का उपयोग होता है।सर्दी–जुकाम में हल्दी से लाभहल्दी की तासीर गर्म होती है। इसलिए जुकाम में इसका सेवन करना फायदेमंद रहता है। हल्दी के धुंए को रात के समय सूंघने से जुकाम में राहत मिलती है। हल्दी सूंघने के कुछ देर बाद तक पानी नहीं पीना चाहिए।सिर की फुंसियों में हल्दी से फायदागर्मियों के मौसम में अक्सर सिर में फुंसियां हो जाती है। जिससे सिर में खुजली होने लगती है और खुजलाने पर दर्द और जलन होती है। इस समस्या से आराम पाने के लिए हल्दी और दारूहरिद्रा, भूनिम्ब, त्रिफला, नीम और चन्दन को पीसकर रोजाना सिर पर मालिश करें।मासिक धर्म के समय हल्दी का सेवनकई महिलाओं को मासिक धर्म के समय अधिक दर्द व पेट में ऐंठन का सामना करना पड़ता है। इससे बचने के लिए हल्दी का इस्तेमाल किया जा सकता है। मासिक धर्म के दौरान हल्दी दूध का सेवन फायदेमंद हो सकता है।आंखों के दर्द में हल्दी से लाभआंखों में दर्द होने पर या किसी तरह का संक्रमण होने पर हल्दी का प्रयोग करना लाभप्रद रहता है। हल्दी को उबालकर व छानकर इसे आंखों में डालने से आंखों के दर्द से आराम मिलता है। कंजक्टीवाइटिस होने पर भी इसी घरेलू उपाय से आराम मिल सकता हैं।हल्दी से कान बहने की समस्या से आरामकान से गाढ़ा तरल निकलना एक समस्या है जिसे आम भाषा में लोग कान बहना कहते हैं। इससे आराम पाने के लिए हल्दी को पानी में उबालकर छान लें और उसे कान में डालें।पायरिया में हल्दी का प्रयोगसरसों का तेल व हल्दी मिलाकर सुबह-शाम मसूड़ों पर लगाकर अच्छी प्रकार मालिश करने तथा बाद में गर्म पानी से कुल्ला करने पर मसूड़ों के सब प्रकार के रोग दूर हो जाते हैं।गले में खराश हो जाने परगले की खराश होने पर अजमोदा, हल्दी, यवक्षार और चित्रक इन सबके चूर्ण को एक चम्मच शहद के साथ सेवन करने से गले की खराश दूर होती है।हल्दी से खांसी में आरामहल्दी को भूनकर चूर्ण बना लें। हल्दी चूर्ण को शहद या घी के साथ मिलाकर खाने से खांसी में आराम मिलता है।पेट दर्द में हल्दी से लाभपेट दर्द होने पर भी हल्दी का सेवन करने से दर्द से जल्दी आराम मिलता है। हल्दी को पानी में उबाल लें। पेट दर्द होने पर इसमें गुड़ मिलाकर थोड़ा-थोड़ा पियें। हल्दी से गैस व अपच जैसी समस्याओं में भी आराम मिलता है।हल्दी-के-लाभकील–मुंहासों के लिए हल्दी का प्रयोगहल्दी स्किन के लिए फायदेमंद होने के कारण ही भारत में शादी और अन्य शुभ अवसर पर हल्दी का उपयोग किया जाता रहा है। हल्दी कील-मुंहासों की समस्या पर भी प्रभावकारी हो सकती है। हालांकि, इस बारे में कोई सटीक प्रमाण उपलब्ध नहीं है, लेकिन लोगों के अनुभव के आधार पर हल्दी को त्वचा के लिए असरदार माना है। इसलिए हल्दी को अन्य सामग्री जैसे – बेसन या मुल्तानी मिट्टी के साथ मिलाकर लगाया जा सकता है।बालों के लिए हल्दी का प्रयोगहल्दी लगाने के फायदे बालों के लिए भी हैं। डैंड्रफ की परेशानी केलिए हल्दी के साथ नारियल तेल का प्रयोग लाभदायक हो सकता है। जिससे कि डैंड्रफ और उससे होने वाली खुजली की समस्या से राहत मिल सकती है।बवासीर में हल्दी से लाभखराब जीवनशैली और खराब खानपान के कारण अधिकतर लोगों को कब्ज हो जाती है। कब्ज़ के कारण ही आगे चलकर बवासीर की समस्या हो जाती है। बवासीर से आराम पाने के लिए सेहुंड के दूध में हल्दी मिलाकर मस्सों में लगाएं। । इसके अलावा सरसों के तेल में हल्दी चूर्ण को मिलाकर मस्सों पर लगाने से बवासीर में आराम मिलता है।डायबिटीज में फायदेमंद हल्दीहल्दी चूर्ण में आंवला रस और शहद मिलाकर सुबह और शाम को खाना डायबिटीज के मरीजों के लिए लाभदायक होता है। इसके अलावा, करक्यूमिनजो हल्दी का एक घटक है। इसका एंटी-डायबिटिक गुण मधुमेह में होने वाली किसी प्रकार की जटिलता के जोखिम को भी कम करने में सहायक हो सकता है।हल्दी से स्तन संबंधी रोगों से आरामस्तन से जुड़ी समस्याओं में भी हल्दी का उपयोग करना फायदेमंद रहता है। हल्दी और लोध्र को पानी में घिसकर स्तनों पर लेप करने से स्तन से जुड़े रोगों में लाभ होता है।चोट या घाव के लिए उपयोगी हल्दीहल्दी का उपयोग कई सालों से हल्की-फुल्की चोट या घावों को भरने के लिए किया जाता रहा है। हल्दी में एंटी बैक्टीरियल, घाव को भरने और एंटीसेप्टिक गुण मौजूद होते हैं, जो घाव भरने में सहायक हो सकते हैं। हालांकि, ध्यान रहे कि हल्दी का उपयोग सामान्य चोट या घाव के लिए ही किया जाए, अगर घाव गंभीर है तो डॉक्टरी चिकित्सा को ही प्राथमिकता दें।प्रदर या ल्यूकोरिया में लाभप्रद हल्दीहल्दी चूर्ण और गुग्गुल चूर्ण को एक बराबर मात्रा में मिलाकर इसको सुबह-शाम सेवन करने से ल्यूकोरिया में फायदा मिलता है। इसके अलावा हल्दी चूर्ण को दूध में उबालकर व उसमें गुड़ मिलाकर खाने से भी ल्यूकोरिया में फायदा पहुँचता है।दाद खाज व खुजली में हल्दी से लाभअगर आपकी त्वचा पर कहीं दाद खुजली हो गयी है तो हल्दी के इस्तेमाल से आप इन समस्याओं को जल्दी ठीक कर सकते हैं। इसके लिए खुजलीवाली जगह पर हल्दी का लेप या हल्दी के साथ नीम की पत्तियों का लेप लगाएं।चर्म रोग में लाभदायक हल्दीखुजली व दाद के अतिरिक्त चर्म रोग में भी हल्दी का प्रयोग करने से फायदा होता है। इसके लिए हल्दी के चूर्ण में मक्खन मिलाकर चर्म रोग वाली जगह पर लगाने से फायदा होता है।सूजन हो जाने पर हल्दी का प्रयोगशरीर के किसी हिस्से में अगर सूजन हो रही है तो हल्दी के उपयोग से आप सूजन कम कर सकते हैं। इसके लिए हल्दी, पिप्पली, पाठा, छोटी कटेरी, चित्रकमूल, सोंठ, पिप्पली, जीरा और मोथा को बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें। इसे कपड़े से छान कर अलग रख लें। इस चूर्ण को गुनगुने जल के साथ मिलाकर खाने से सूजन में कमी आती है।हल्दी का उपयोग किस प्रकार करेंहल्दी के लाभ पाने के लिए निम्नलिखित तरीकों से हल्दी का उपयोग किया जा सकता है।एक चौथाई चम्मच हल्दी का प्रयोग दोपहर या रात के भोजन में कर सकते हैं।अगर आप स्नैक्स के तौर पर उबली हुई सब्जियां खाने के शौकीन हैं, तो रंग के लिए सब्जी उबालते वक्त उसमें चुटकी भर हल्दी डाल सकते हैं। इसके अलावा सलाद पर भी थोड़ी सी हल्दी डाल सकते हैं। इससे सलाद में पौष्टिक तत्व बढ़ जाते हैं।अगर आप सूप पीते हैं, तो उसमें भी थोड़ी हल्दी मिक्स की जा सकती है। इसके अतिरिक्त हल्दी की चाय भी बना सकते हैं। इसमें स्वाद के लिए थोड़ा सा शहद मिक्स कर सकते हैं।ज्यादातर लोग दूध में हल्दी डालकर पीते हैं। इसके अलावा हल्दी का उपयोग घरेलू फेसपैक के तौर पर भी किया जा सकता है।हल्दी के नुकसान (Side Effects of Turmeric)हल्दी के अधिक सेवन होने वाले कुछ दुष्परिणाम निम्नलिखित हैं।अत्यधिक हल्दी का सेवन हल्दी के साइड इफेक्ट का कारण बन सकता है। इससे किडनी स्टोन की समस्या हो सकती है व जरूरत से ज्यादा हल्दी के सेवन से पेट संबंधी समस्या जैसे- गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल आदि हो सकती हैं।हल्दी के साइड इफेक्ट में एनीमिया भी शामिल है। दरअसल, हल्दी का सेवन अधिक करने से शरीर में आयरन की कमी हो सकती है, जिससे एनीमिया का खतरा बढ़ सकता है।हल्दी का अधिक सेवन करने से उल्टी, दस्त और मतली के साथ रक्त स्त्राव की समस्या भी हो सकती है। इसके अतिरिक्त अधिक हल्दी के सेवन से सिरदर्द और त्वचा पर रैशेज की समस्या भी हो सकती है।सावधानीहल्दी का उपयोग कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं से बचाव में सहायक हो सकता है। ऐसे में इसकी सीमित मात्रा का उपयोग कर इसके स्वास्थ्य लाभ उठाए जा सकते हैं। हल्दी एक आयुर्वेदिक औषधि है, जिसका असर धीरे-धीरे होता है। इसलिए, हल्दी के औषधीय गुण के असर के लिए संयम के साथ इसका सेवन करें और परिणाम का इंतजार करें।आमतौर पर 2-3 ग्राम हल्दी का रोजाना सेवन करना सेहत के लिए उपयुक्त है। अगर आप किसी ख़ास बीमारी के लिए हल्दी का उपयोग करना चाहते हैं तो चिकित्सक की सलाह अवश्य ले लें।धन्यवादहमसे जुड़े रहने के लिए हमारे फेसबुक पेज को अवश्य लाइक करें।आप इस पोस्ट को सोशल मीडिया पर अपने दोस्तों के साथ शेयर कर सकते हैं।

हल्दी के फायदे गुण व उपयोग (Benefits Of Turmeric In Hindi)   By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब:🥦🌹🙏🙏🌹🥦 हल्दी-के-फायदे मसालों में हल्दी का अपना एक विशेष महत्व है। लगभग हर घर की रसोई में हल्दी मिल जाती है। हल्दी खाने का स्वाद और रंग रूप तो बढ़ाती ही है इसके अलावा यह कई तरह के रोगों से भी बचाव करती है। इसी कारण पुराने समय से ही हल्दी का प्रयोग जड़ी बूटी के रूप में भी किया जा रहा है। आयुर्वेद में हल्दी के लाभ के बारे में विस्तार से बताया गया है। हल्दी के लाभ (Benefits Of Turmeric) हल्दी एक जड़ी-बूटी है। इसका इस्तेमाल मसालों के रुप में प्रमुखता से किया जाता है। हिंदू धर्म में पूजा में या कोई भी शुभ काम करते समय भी हल्दी का प्रयोग किया जाता है। खाने के अलावा कई तरह की बीमारियों से बचाव में भी हल्दी का उपयोग होता है। सर्दी–जुकाम में हल्दी से लाभ हल्दी की तासीर गर्म होती है। इसलिए जुकाम में इसका सेवन करना फायदेमंद रहता है। हल्दी के धुंए को रात के समय सूंघने से जुकाम में राहत मिलती है। हल्दी सूंघने के कुछ देर बाद तक पानी नहीं पीना चाहिए। सिर की फुंसियों में हल्दी से फायदा गर्मि...

ਸਾਹ ਦੀ ਨਾਲੀby Vnita Kasnia Punjabਇਕ ਹੋਰ ਭਾਸ਼ਾ ਵਿਚ ਪੜ੍ਹੋਡਾ .ਨਲੋਡਆਪਣਾ ਖਿਆਲ ਰੱਖਣਾਸੰਪਾਦਿਤ ਕਰੋਇਨਸਾਨ, ਜਾਨਵਰ ਅਤੇ ਪੰਛੀਆਂ ਦੀਆਂ ਲਾਸ਼ਾਂ ਸਾਹ ਦੀਆਂ ਟ੍ਰੈਕਟ (ਟ੍ਰੈਚੀਆ) ਜਾਂ ਡਕਟ ਇਸ ਨੂੰ ਗਰਦਨ ਵਿੱਚ ਸਾਹ ਲੈਂਦੀਆਂ ਹਨ , ਜੋ ਕਿ ਇੱਕ ਹੋਜ਼ ਲੇਰੀਨਕਸ ( ਲਾਰਿੰਕਸ ) ਫੇਫੜੇ ਦਾ ਜੋੜ ਹੈ ਅਤੇ ਮੂੰਹ ਰਾਹੀਂ ਫੇਫੜਿਆਂ ਵਿੱਚ ਹਵਾ ਪਹੁੰਚਾਉਣ ਦੇ theੰਗ ਦਾ ਇੱਕ ਮਹੱਤਵਪੂਰਣ ਹਿੱਸਾ ਹੈ. ਟ੍ਰੈਚਿਆ ਦੀ ਅੰਦਰੂਨੀ ਸਤਹ ਤੇ, ਕੁਝ ਸੈੱਲਾਂ ਦੀ ਇਕ ਪਰਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਜਿਸ ਵਿਚੋਂ ਬਲਗਮ ਬਾਹਰ ਨਿਕਲਦਾ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ. ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਕੀਟਾਣੂ, ਧੂੜ ਅਤੇ ਹੋਰ ਨੁਕਸਾਨਦੇਹ ਕਣ ਜੋ ਸਾਹ ਨਾਲ ਸਰੀਰ ਵਿਚ ਦਾਖਲ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਇਸ ਬਲਗਮ ਦੁਆਰਾ ਫਸ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਫੇਫੜਿਆਂ ਵਿਚ ਨਹੀਂ ਪਹੁੰਚ ਸਕਦੇ. ਇਹ ਬਲਗਮ, ਅਸ਼ੁੱਧ ਨਾਲ ਮਿਲਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਜਾਂ ਤਾਂ ਖੁਦ ਹੀ ਪੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ, ਜਿਸ ਦੁਆਰਾ ਇਹ ਪੇਟ ਤੱਕ ਪਹੁੰਚ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਪਾਚਨ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਦੇ ਰਸਾਇਣਾਂ ਦੁਆਰਾ ਉਥੇ ਨਸ਼ਟ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ, ਜਾਂ ਫਿਰ ਬਲਗਮਇਹ ਮੂੰਹ ਵਿੱਚ ਉੱਭਰਦਾ ਹੈ ਜਿੱਥੋਂ ਇਸਨੂੰ ਥੁੱਕਿਆ ਜਾਂ ਨਿਗਲਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ. ਮੱਛੀ ਦੇ ਸਰੀਰ ਵਿੱਚ ਕੋਈ ਟ੍ਰੈਸੀਆ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ.ਟ੍ਰੈਸੀਆ ਅਤੇ ਇਸਦੇ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਅੰਗਮਨੁੱਖਾਂ ਵਿਚਸੰਪਾਦਿਤ ਕਰੋਮਨੁੱਖਾਂ ਵਿੱਚ, ਟ੍ਰੈਚਿਆ ਦੀ ਅੰਦਰੂਨੀ ਚੌੜਾਈ 21 ਤੋਂ 24 ਮਿਲੀਮੀਟਰ ਅਤੇ ਲੰਬਾਈ 10 ਤੋਂ 14 ਸੈ.ਮੀ. ਇਹ ਗਲੈਂਡ ਤੋਂ ਸ਼ੁਰੂ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਫੇਫੜਿਆਂ ਵੱਲ ਆਉਂਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਫਿਰ ਦੋ ਡਰੇਨਾਂ ਵਿਚ ਬੁਣਦੀ ਹੈ ਜਿਸ ਨੂੰ ਬ੍ਰੋਂਚੀ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ. ਸੱਜੇ ਬ੍ਰੋਂਚਸ ਸੱਜੇ ਫੇਫੜੇ ਵਿਚ ਅਤੇ ਖੱਬੇ ਫੇਫੜਿਆਂ ਵਿਚ ਖੱਬੇ ਬ੍ਰੋਂਚਸ ਸਾਹ ਲੈਂਦੇ ਹਨ. ਸਾਹ ਲਈ ਟ੍ਰੈਚਿਆ ਨੂੰ ਖੁੱਲਾ ਰੱਖਣ ਲਈ, ਟ੍ਰੈਚਿਆ ਦੇ ਅੰਦਰ ਥੋੜ੍ਹੀ ਦੂਰੀ 'ਤੇ 15 ਤੋਂ 20 ਕਾਰਟਿਲਜ ਦੇ ਬਣੇ ਰਿੰਗਾਂ ਹਨ. ਇਹ ਸਾਰੀਆਂ ਰਿੰਗਾਂ ਨਾਲ ਜੁੜਿਆ ਇੱਕ ਮਾਸਪੇਸ਼ੀਇਹ ਵਾਪਰਦਾ ਹੈ. ਜਦੋਂ ਕੋਈ ਵਿਅਕਤੀ ਖਾਂਸੀ ਕਰਦਾ ਹੈ, ਤਾਂ ਇਹ ਮਾਸਪੇਸ਼ੀ ਸੁੰਗੜ ਜਾਂਦੀ ਹੈ, ਜਿਸ ਕਾਰਨ ਇਹ ਰਿੰਗ ਵੀ ਸੁੰਗੜ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ ਅਤੇ ਟ੍ਰੈਚਿਆ ਥੋੜ੍ਹਾ ਤੰਗ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ. ਟ੍ਰੈਚੀਆ ਵਿਚੋਂ ਲੰਘ ਰਹੀ ਹਵਾ ਦਾ ਦਬਾਅ ਅਤੇ ਗਤੀ ਉਸੇ ਤਰ੍ਹਾਂ ਵੱਧ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਕਿ ਜੇ ਪਾਣੀ ਦੀ ਪਾਈਪ ਸੁੰਗੜ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਤਾਂ ਪਾਣੀ ਉੱਚਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ. ਜੇ ਕੋਈ ਥੁੱਕ ਜਾਂ ਕੁਝ ਚੀਜ਼ਾਂ ਦੇ ਕਣ ਟ੍ਰੈਚਿਆ ਵਿੱਚ ਫਸ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਜਾਂ ਫਸ ਜਾਂਦੇ ਹਨ, ਤਾਂ ਉਹ ਹਵਾ ਦੇ ਇਸ ਤੇਜ਼ ਵਹਾਅ ਕਾਰਨ ਮੂੰਹ ਵੱਲ ਉਡ ਜਾਂਦੇ ਹਨ. ਜ਼ੁਕਾਮ ਜਾਂ ਕੋਈ ਮਾੜਾ ਪਦਾਰਥ ਟ੍ਰੈਚਿਆ ਵਿਚ ਜਾਣ ਦੀ ਸਥਿਤੀ ਵਿਚ, ਟ੍ਰੈਚਿਆ ਇਸ ਖੰਘ ਦੀ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਦੁਆਰਾ ਆਪਣੇ ਆਪ ਨੂੰ ਸਾਫ ਕਰ ਲੈਂਦਾ ਹੈ.ਟਾਹਲੀ ਅਤੇ ਟ੍ਰੈਸੀਆਸੰਪਾਦਿਤ ਕਰੋਜਦੋਂ ਇਹ ਗਲ਼ੇ ਤੋਂ ਪੇਟ ਵੱਲ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਹੋਜ਼ ਇਹ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਕਿ ਠੋਡੀ ਨੂੰ (ਠੋਡੀ) ਜਾਂ ਭੋਜਨ ਪਾਈਪ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ. ਠੋਡੀ ਅਤੇ ਟ੍ਰੈਚੀ ਦੋਵੇਂ ਗਲੇ ਨਾਲ ਸ਼ੁਰੂ ਹੁੰਦੇ ਹਨ. ਨਲੀ (ਬੋਝ) ਉਪਰ ਇੱਕ ਛੋਟੇ ਪ੍ਰਚਲਤ ਹੈ, ਜੋ ਕਿ ਹੈ epiglottis ਹਨ (epiglottis / Apiglatis) ਕਹਿੰਦਾ ਹੈ. ਜਦੋਂ ਕੋਈ ਕੁਝ ਖਾਂਦਾ ਜਾਂ ਪੀਂਦਾ ਹੈ, ਤਾਂ ਇਹ ਗਲ਼ੇ ਤੋਂ ਡਿੱਗਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਟ੍ਰੈਚਿਆ ਨੂੰ ਕੱਸਦਾ ਹੈ. ਇਸ ਕਾਰਨ ਕਰਕੇ, ਭੋਜਨ ਠੋਡੀ ਦੁਆਰਾ ਪੇਟ ਵਿਚ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਪਰ ਸਾਹ ਦੇ ਨਾਲ ਜਾਂ ਫੇਫੜਿਆਂ ਵਿਚ ਦਾਖਲ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ.ਇਹ ਵੀ ਵੇਖੋਸੰਪਾਦਿਤ ਕਰੋਲੈਰੀਨੈਕਸਫੇਫੜੇਲੋਅਰ ਸਾਹ ਦੀ ਨਾਲੀ ਦੀ ਲਾਗਟਾਹਲੀਗਰਦਨਪਿਛਲੀ ਵਨੀਤਾ Kasnia ਦੁਆਰਾ 1 ਸਾਲ ਪਹਿਲਾਂ ਸੰਪਾਦਿਤ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀਸਬੰਧਤ ਪੰਨੇ ਸੋਜ਼ਸ਼ ਸਾਹ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਗਲਾਸਮਗਰੀ CC BY-SA 3.0 ਦੇ ਅਧੀਨ ਹੈ ਜਦੋਂ ਤੱਕ ਕੋਈ ਹੋਰ ਨੋਟ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ.

ਸਾਹ ਦੀ ਨਾਲੀ by Vnita Kasnia Punjab ਇਕ ਹੋਰ ਭਾਸ਼ਾ ਵਿਚ ਪੜ੍ਹੋ ਡਾ .ਨਲੋਡ ਆਪਣਾ ਖਿਆਲ ਰੱਖਣਾ ਸੰਪਾਦਿਤ ਕਰੋ ਇਨਸਾਨ, ਜਾਨਵਰ ਅਤੇ ਪੰਛੀਆਂ ਦੀਆਂ ਲਾਸ਼ਾਂ  ਸਾਹ ਦੀਆਂ ਟ੍ਰੈਕਟ  (ਟ੍ਰੈਚੀਆ) ਜਾਂ  ਡਕਟ  ਇਸ ਨੂੰ ਗਰਦਨ ਵਿੱਚ  ਸਾਹ  ਲੈਂਦੀਆਂ ਹਨ , ਜੋ ਕਿ ਇੱਕ ਹੋਜ਼ ਲੇਰੀਨਕਸ (  ਲਾਰਿੰਕਸ  )  ਫੇਫੜੇ ਦਾ  ਜੋੜ ਹੈ ਅਤੇ ਮੂੰਹ ਰਾਹੀਂ ਫੇਫੜਿਆਂ ਵਿੱਚ ਹਵਾ ਪਹੁੰਚਾਉਣ ਦੇ theੰਗ ਦਾ ਇੱਕ ਮਹੱਤਵਪੂਰਣ ਹਿੱਸਾ ਹੈ. ਟ੍ਰੈਚਿਆ ਦੀ ਅੰਦਰੂਨੀ ਸਤਹ ਤੇ, ਕੁਝ  ਸੈੱਲਾਂ  ਦੀ ਇਕ ਪਰਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਜਿਸ ਵਿਚੋਂ ਬਲਗਮ ਬਾਹਰ ਨਿਕਲਦਾ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ. ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਕੀਟਾਣੂ, ਧੂੜ ਅਤੇ ਹੋਰ ਨੁਕਸਾਨਦੇਹ ਕਣ ਜੋ ਸਾਹ ਨਾਲ ਸਰੀਰ ਵਿਚ ਦਾਖਲ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਇਸ ਬਲਗਮ ਦੁਆਰਾ ਫਸ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਫੇਫੜਿਆਂ ਵਿਚ ਨਹੀਂ ਪਹੁੰਚ ਸਕਦੇ. ਇਹ ਬਲਗਮ, ਅਸ਼ੁੱਧ ਨਾਲ ਮਿਲਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਜਾਂ ਤਾਂ ਖੁਦ ਹੀ ਪੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ, ਜਿਸ ਦੁਆਰਾ ਇਹ ਪੇਟ ਤੱਕ ਪਹੁੰਚ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਅਤੇ  ਪਾਚਨ  ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਦੇ ਰਸਾਇਣਾਂ ਦੁਆਰਾ ਉਥੇ ਨਸ਼ਟ ਹੋ  ਜਾਂਦੀ  ਹੈ, ਜਾਂ ਫਿਰ  ਬਲਗਮ ਇਹ ਮੂੰਹ ਵਿੱਚ ਉੱਭਰਦਾ ਹੈ ਜਿੱਥੋਂ ਇਸਨੂੰ ਥੁੱਕਿਆ ਜਾਂ ਨਿਗਲਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ. ਮੱਛੀ ਦੇ ਸਰੀਰ ਵਿੱਚ ਕੋਈ ਟ੍ਰੈਸੀਆ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ. ਟ੍ਰੈਸੀਆ ਅਤੇ ਇਸਦੇ ਨਾਲ ...

What is the most powerful natural antibiotic and how can it be used?By social worker Vanita Kasani PunjabThere are things in the kitchen which are very effective and many health related issues

सबसे शक्तिशाली प्राकृतिक एंटीबायोटिक कौन सी है और यह कैसे प्रयोग की जा सकती है? By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब किचन में ऐसी चीजें मौजूद हैं जो बेहद प्रभावशाली हैं और बहुत से स्वास्थ्य से जुड़े मसलों पर कारगर हैं। 1. लहसुन : लहसुन एक प्राकृतिक एंटीबायोटिक है। इसमें एंटीफंगल और एंटीवायरल तत्व मौजूद होते हैं। एक अध्ययन के अनुसार लहसुन में पाया जाने वाला सल्फर कंपाउंड एलीसिन प्राकृतिक एंटीबायोटिक के समान कार्य करते हैं। इसके अलावा, लहसुन में कई प्रकार के विटामिन, न्यूट्रिएंट्स और मिनेरल्स होते हैं जो संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं। लहसुन आंतों में होने वाले पैरासाइट्स को खत्म करता है। प्रतिदिन खाली पेट लहसुन की 2 से 3 कलियां खाई जा सकती हैं। लहसुन को विभिन्न प्रकार की डिश में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। कुछ लोग बाजार में उपलब्ध लहसुन सप्लीमेंट भी ले सकते हैं परंतु बाजार में उपलब्ध सप्लीमेंट लेने के पहले डॉक्टरी सलाह ले लेनी चाहिए। 2. शहद : प्राकृतिक चिकित्सा में शहद को सबसे कारकर एंटीबायोटिक्स में से एक माना जाता है। इसमें एंटीमाइक्रोबियल, एंटी-इंफ्लेमैटोरी (सूजन कम ...

पंजाब, जेएनएन। कोरोना काल में काढ़ा का अत्यधिक प्रयोग पाचनशक्ति को खराब करने लगा और लोग कोविड के दूसरे लहर में इस आयुर्वेदिक युक्ति से अब पीछा छुड़ाते दिख रहे हैं। By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब वहीं आम आदमी से लेकर समस्त बुद्धिजीवियों में भी यही भ्रांति अभी तक चली आ रही थी कि कोरोना से निबटने में आयुर्वेद की सीमाएं महज काढ़ा तक ही हैं, जबकि आयुर्वेदीय चिकित्सा शास्त्र में कोविड बीमारी में लक्षण के अनुसार इलाज करने की प्रबल संभावनाएं हैं। बीएचयू में रसशास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रो. आनंद चौधरी ने बताया कि आयुर्वेद में आयुष काढ़ा' ही नहीं बल्कि विभिन्न रस औषधियां भी कोविड-19 के इलाज में कारगर हैं।आयुर्वेदीय रस शास्त्र की विधा में अनेक रस रसायन सुखद परिणाम के साथ विकसित किए गए हैं, जो कि इस महामारी से स्वयं को बचाने में काफी अचूक दवाएं हैं।इन औषधियों में स्वर्ण भस्म का योग स्वर्ण मालिनी बसंत, अभ्रक भस्म, प्रवाल भस्म के योग , त्रैलोक्य चिंतामणी रस , जय मंगल रस , त्रिभुवन कीर्ति रस, लक्ष्मी विलास रस आदि प्रमुख हैं। ये सारी दवाइयां श्वांस, बुखार, कफ को दूर करने के साथ ही पाचन और दीपन की क्रियाओं को बढ़ाती है। उन्होंने बताया कि ये औषधियां ऑनलाइन और ऑफलाइन मेडिकल दुकानों पर उपलब्ध रहती हैं। ये सभी रस शास्त्रीय चिकित्सकीय ग्रंथो में काफी विस्तारपूर्वक वर्णित हैं।दरअसल, भारत अनेक प्रतिष्ठित आयुर्वेदिक चिकित्सक इन वर्णित रस-रसायनों के माध्यम से महामारी की लाक्षणिक चिकित्सा कर रोगियों को स्वस्थ करने में सफल भी हो रहे हैं। यही नहीं एलोपैथ भी इस महामारी की लाक्षणिक चिकित्सा ही कर रही है। वहीं, दुनिया के किसी भी शोध संस्थान द्वारा इस महामारी की शत-प्रतिशत प्रभावी औषधि अब तक विकसित नहीं की जा सकी है। प्रोफेसर चौधरी के अनुसार इन रस औषधियों जैसे कि स्वर्ण, अभ्रक, माक्षिक भस्म के ऊपर निरतंर शोध पत्र प्रकाशित होते रहे हैं, जो कि इनकी व्याधि हरण की क्षमता, त्वरित लाभ, स्वास्थ्य सुरक्षा के मानकों पर खरी उतरी है। वहीं इन रस-रसायनों को खरीदते समय कंपनी की प्रमाणिकता को अवश्य परखे।

पंजाब, जेएनएन। कोरोना काल में काढ़ा का अत्यधिक प्रयोग पाचनशक्ति को खराब करने लगा और लोग कोविड के दूसरे लहर में इस आयुर्वेदिक युक्ति से अब पीछा छुड़ाते दिख रहे हैं।  By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब  वहीं आम आदमी से लेकर समस्त बुद्धिजीवियों में भी यही भ्रांति अभी तक चली आ रही थी कि कोरोना से निबटने में आयुर्वेद की सीमाएं महज काढ़ा तक ही हैं, जबकि आयुर्वेदीय चिकित्सा शास्त्र में कोविड बीमारी में लक्षण के अनुसार इलाज करने की प्रबल संभावनाएं हैं।  बीएचयू में रसशास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रो. आनंद चौधरी ने बताया कि आयुर्वेद में आयुष काढ़ा' ही नहीं बल्कि विभिन्न रस औषधियां भी कोविड-19 के इलाज में कारगर हैं। आयुर्वेदीय रस शास्त्र की विधा में अनेक रस रसायन सुखद परिणाम के साथ विकसित किए गए हैं, जो कि इस महामारी से स्वयं को बचाने में काफी अचूक दवाएं हैं।इन औषधियों में स्वर्ण भस्म का योग स्वर्ण मालिनी बसंत, अभ्रक भस्म, प्रवाल भस्म के योग , त्रैलोक्य चिंतामणी रस , जय मंगल रस , त्रिभुवन कीर्ति रस, लक्ष्मी विलास रस आदि प्रमुख हैं। ये सारी दवाइयां श्वांस, बुखार, कफ को दूर करने के...

By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाबदेश में कोरोना का खतरा तेजी से बढ़ रहा है. संक्रमित मरीजों के साथ-साथ मृतकों की तादाद में भी बड़ी वृद्धि देखी जा रही है. ऑक्सीजन से लेकर दवाओं तक की कमी बताई जा रही है. इस बीच भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने कोरोना महामारी में खुद की देखभाल के लिए कुछ आयुर्वेदिक तौर-तरीके बताए हैं जिनसे खुद को सुरक्षित रखा जा सकता है.आयुर्वेद, यूनानी, होम्योपैथी या एलोपैथी, इन सबमें शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने पर जोर दिया जाता है. शरीर अगर रोगों से लड़ने में सक्षम रहेगा तो कोई बीमारी नहीं होगी और हम निरोग रहेंगे. बीमार होने के बाद दवाएं लेने से ज्यादा अच्छा होता है कि उससे पहले ही हम शरीर को पुष्ट बनाएं और बीमारियों से बचे रहें.इसके लिए आयुर्वेद में खुद की देखभाल के तौर-तरीके बताए गए हैं जिससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है.ये तौर-तरीके जटिल नहीं हैं और इसमें उपयुक्त होने वाली चीजें बेहद आसानी से उपलब्ध होने वाली हैं. यहां तक कि घर में ये चीजें मौजूद हैं जिनसे हम इम्युनिटी बढ़ाने में मदद ले सकते हैं. आइए इसके बारे में जानते हैं-बार-बार हल्का गरम पानी पीते रहेंभोजन में हल्दी, जीरा, धनिया, सौंठ और लहसुन का उपयोग करेंताजा आंवला का फल या आंवला से बने उत्पाद खाएंगुनगुने पानी में हल्दी और नमक मिलाकर गार्गल करेंभोजन वही खाएं जो ताजा बना हो और आसानी से पचने लायक होहर दिन कम से कम 30 मिनट तक योगासन, प्रणायाम और ध्यान करेंदिन में सोने से बचें और रात में कम से कम 7-8 घंटे तक सोएंइम्युनिटी बढ़ाने के आयुर्वेदिक तरीकेगुनगुने पानी के साथ खाली पेट 20 ग्राम च्यवनप्राश का सेवन करेंदिन में दो बार हल्दी दूध पीएं, 150 एमएल दूध में आधा चम्मच हल्दी मिलाकर दूध बनाएंगुडुची घन वटी 500 एमजी या अश्वगंधा 500 एमजी हर दिन दो बार लें. इसे भोजन के बाद गर्म पानी के साथ लेना हैरोज हर्बल चाय या काढ़ा पीएं. हर्बल चाय या काढ़ा में तुलसी, दालचीनी, अदरक, कालीमिर्च डालकर बनाएं. इसका टेस्ट बढ़ाने के लिए गुड़, मुनक्का और छोटी इलायची मिलाएंये तरीके भी अपना सकते हैं-सुबह-शाम नाक में तील का तेल या नारियल का तेल या गाय का घी या अणु तेल डालेंएक चम्मच तील का तेल या नारियल का तेल मुंह में डालें, इसे अंदर नहीं लेना है बल्कि 2-3 मिनट तक मुंह में इधर-उधर घुमाना है. इसके बाद इसे थूक दें और गर्म पानी से मुंह को अंदर से साफ कर लें. इसे दिन में दो बार किया जा सकता हैसूखी खांसी या गले में खराश में हो तो क्या करेंपानी का भाप लें, इसमें पुदिना, अजवाइन, कपूर मिलाकर भी दिन में एक बार भाप ले सकते हैंगले में खराश हो तो लवंग, मुलैठी का पाउडर शक्कर या शहद के साथ मिलाकर ले सकते हैंअगर ये लक्षण ज्यादा दिनों तक रहते हैं तो किसी चिकित्सक से परामर्श लें. (ऊपर बताए गए तरीके कोरोना के इलाज का दावा नहीं करते हैं. ये इम्युनिटी बढ़ा सकने वाले तरीके हैं)बाल वनिता महिला आश्रमकोरोना मरीजों के 'इलाज' में रामबाण है गिलोय, अश्वगंधा और मुलैठी, पढे़ं आयुष मंत्रालय ने क्या कहा

By  समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब देश में कोरोना का खतरा तेजी से बढ़ रहा है. संक्रमित मरीजों के साथ-साथ मृतकों की तादाद में भी बड़ी वृद्धि देखी जा रही है. ऑक्सीजन से लेकर दवाओं तक की कमी बताई जा रही है. इस बीच भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने कोरोना महामारी में खुद की देखभाल के लिए कुछ आयुर्वेदिक तौर-तरीके बताए हैं जिनसे खुद को सुरक्षित रखा जा सकता है. आयुर्वेद, यूनानी, होम्योपैथी या एलोपैथी, इन सबमें शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने पर जोर दिया जाता है. शरीर अगर रोगों से लड़ने में सक्षम रहेगा तो कोई बीमारी नहीं होगी और हम निरोग रहेंगे. बीमार होने के बाद दवाएं लेने से ज्यादा अच्छा होता है कि उससे पहले ही हम शरीर को पुष्ट बनाएं और बीमारियों से बचे रहें.इसके लिए आयुर्वेद में खुद की देखभाल के तौर-तरीके बताए गए हैं जिससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. ये तौर-तरीके जटिल नहीं हैं और इसमें उपयुक्त होने वाली चीजें बेहद आसानी से उपलब्ध होने वाली हैं. यहां तक कि घर में ये चीजें मौजूद हैं जिनसे हम इम्युनिटी बढ़ाने में मदद ले सकते हैं. आइए इसके बारे में जानते हैं- बार-बार ...

बालो को रंगने के सबसे टिकाऊ और सुरक्षित प्राकृतिक और कॉस्मेटिक उपाय कौन से उपलब्ध हैं?By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाबआजकल बालों को कलर(रंगना ) करना एक ट्रेंड के साथ -साथ फैशन चिन्ह भी बन गया है| परन्तु हम लोग ये नहीं जानते कि बालों को कलर करते वक्त जिन कैमिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है, वो बालों के लिए बहुत नुकसानदायक होते हैं; ये ना सिर्फ बालों को रफ बनाते हैं बल्कि बालों की जड़ों को भी कमजोर बनाते हैं|बालों को रंगने के कई प्राकृतिक उपाय भी है जिनसे बाल स्वस्थ व घने भी बने रहते है तथा ये एक अच्छे कंडीशनर का भी काम करते है | हम घर पर ही अपने बालों को रंग सकते है, व उन्हें बेजान रूखे बनने से बचा सकते है |1. लाल बाल - मेहंदी का तो सबने सुना ही है कि यह बालों को घना करती है व प्राकृतिक कंडीशनर का भी काम करती है, मेहँदी से बाल लाल हो जाते है |2. बर्गंडी बाल- अगर हमे बर्गंडी रंग में अपने बाल रंगने है तो मेहँदी को चुकंदर के रस में भिगो कर लगाने से हमारे बाल बर्गंडी रंग के हो जायेंगे | यह भी एक अच्छे कंडीशनर का काम करता है तथा बालों की प्राकृतिक चमक को बनाए रखता है |3. हल्के भूरे बाल - मेहंदी के साथ कॉफी पाउडर , बालों को हल्का भूरा रंग देने के लिए यह बेहतरीन उपाय है। बालों के लिए मेंहदी घोलते वक्त पहले उसमें आधा चम्मच कॉफी पाउडर डाल दें। इससे बालों का रंग हल्का कॉफी ब्राउन होगा।4. काले बाल - एक लोहे के बर्तन में कपूर का तेल गर्म करें। इसमें मेहंदी को अच्छी तरह मिलाएं और एक-दो दिन उसी तरह छोड़ दें। इसे लगाते वक्त पहले गर्म पानी इसमें मिलाएं और फिर लगाएं। इससे न सिर्फ बालों का रंग काला होगा बल्कि बाल जड़ से मजबूत होंगे।चित्र स्रोत - Google

बालो को रंगने के सबसे टिकाऊ और सुरक्षित प्राकृतिक और कॉस्मेटिक उपाय कौन से उपलब्ध हैं? By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब आजकल बालों को कलर(रंगना ) करना एक ट्रेंड के साथ -साथ फैशन चिन्ह भी बन गया है| परन्तु हम लोग ये नहीं जानते कि बालों को कलर करते वक्त जिन कैमिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है, वो बालों के लिए बहुत नुकसानदायक होते हैं; ये ना सिर्फ बालों को रफ बनाते हैं बल्कि बालों की जड़ों को भी कमजोर बनाते हैं| बालों को रंगने के कई प्राकृतिक उपाय भी है जिनसे बाल स्वस्थ व घने भी बने रहते है तथा ये एक अच्छे कंडीशनर का भी काम करते है | हम घर पर ही अपने बालों को रंग सकते है, व उन्हें बेजान रूखे बनने से बचा सकते है | 1. लाल बाल - मेहंदी का तो सबने सुना ही है कि यह बालों को घना करती है व प्राकृतिक कंडीशनर का भी काम करती है, मेहँदी से बाल लाल हो जाते है | 2. बर्गंडी बाल- अगर हमे बर्गंडी रंग में अपने बाल रंगने है तो मेहँदी को चुकंदर के रस में भिगो कर लगाने से हमारे बाल बर्गंडी रंग के हो जायेंगे | यह भी एक अच्छे कंडीशनर का काम करता है तथा बालों की प्राकृतिक चमक को बनाए रखता है | 3. हल्के भ...

अजवाइन-मेथी का पानी पीने से शरीर को मिलता है ये बड़ा फायदाBy समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाबअगर आपको डायबिटीज की समस्या है, तो अजवाइन-मेथी का पानी रामबाण इलाज है. यदि आपका ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद करता है. इसलिए रोजाना सुबह उठने के साथ ही इस डिटॉक्स ड्रिंक का सेवन जरूर करें. सुबह-सुबह खाली पेट एक गिलास अजवाइन मेथी का पानी पीने से डाइजेशन सही रहता है. इसमें फाइबर, मैग्नीशियम, मैग्नीज जैसे कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जो एसिडिटी या अन्य पाचन से संबंधित समस्याओं से निजात दिलाने में मददगार साबित होता है.अजवाइन और मेथी को एक रात पहले पानी में भिगोकर रख दें. फिर सुबह उठकर खाली पेट इसे छान लें और पी जाएं. अजवाइन-मेथी का पानी वजन घटाने का पुराना घरेलू नुस्खा है.इसका इस्तेमाल लोग काफी पहले से करते आ रहे हैं. अजवाइन और मेथी दोनो में एंटीऑक्सीडेंट गुण मौजूद होते हैं, जो मेटाबॉलिज्म को मजबूत करते हैं.इसके अलावा इस ड्रिंक में फैट बर्निंग के गुण भी होते हैं, जो शरीर के एक्स्ट्रा फैट को बेहद आसानी से कम करता है. अगर आप भी तेजी से वजन घटाना चाह रहे हैं, तो इस डिटॉक्स ड्रिंक को रोजाना सुबह जरूर पिएं.भारत का शायद ही कोई ऐसा घर हो, जहां मेथी और अजवाइन का इस्तेमाल न किया जाता है. किचन में इन दोनों का इस्तेमाल मसालों के रूप किया जाता है. मेथी और अजवाइन में तमाम आयुर्वेदिक गुण होते हैं.लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन दोनों का सेवन एक साथ करने से फायदे दोगुने हो जाते हैं. जी हां, अगर आपको वजन कम करना हो या बदहजमी की समस्या दूर करनी हो, अजवाइन-मेथी का पानी परफेक्ट घरेलू उपचार है. यह ड्रिंक हमारे शरीर के लिए एक बेहतरीन डिटॉक्स का काम करता है.

अजवाइन-मेथी का पानी पीने से शरीर को मिलता है ये बड़ा फायदा By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब अगर आपको डायबिटीज की समस्या है, तो अजवाइन-मेथी का पानी रामबाण इलाज है. यदि आपका ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद करता है. इसलिए रोजाना सुबह उठने के साथ ही इस डिटॉक्स ड्रिंक का सेवन जरूर करें.   सुबह-सुबह खाली पेट एक गिलास अजवाइन मेथी का पानी पीने से डाइजेशन सही रहता है. इसमें फाइबर, मैग्नीशियम, मैग्नीज जैसे कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जो एसिडिटी या अन्य पाचन से संबंधित समस्याओं से निजात दिलाने में मददगार साबित होता है. अजवाइन और मेथी को एक रात पहले पानी में भिगोकर रख दें. फिर सुबह उठकर खाली पेट इसे छान लें और पी जाएं. अजवाइन-मेथी का पानी वजन घटाने का पुराना घरेलू नुस्खा है. इसका इस्तेमाल लोग काफी पहले से करते आ रहे हैं. अजवाइन और मेथी दोनो में एंटीऑक्सीडेंट गुण मौजूद होते हैं, जो मेटाबॉलिज्म को मजबूत करते हैं. इसके अलावा इस ड्रिंक में फैट बर्निंग के गुण भी होते हैं, जो शरीर के एक्स्ट्रा फैट को बेहद आसानी से कम करता है. अगर आप भी तेजी से वजन घटाना चाह रहे हैं, तो इस डिटॉक्स ...